सही शिक्षा क्यों जरूरी है ?
पढ़िए और सोचिए :-
हर विद्यार्थी की यही चाहत होती है के वह पढ़ लिख कर एक अच्छा और कामयाब इंसान बने, उनके मां बाप की भी यही ख्वाहिश होती है,
सब के क्लासों में पढ़ाइयाँ भी लग भग एक जैसी होती है,
सब के शरीर और दिमाग की बनावट भी एक जैसी होती है, फिर भी सब कामयाब नहीं होते, हक़ीक़त तो ये है के कुछ कामयाब तो कुछ बहुत कामयाब, कुछ बेकार कुछ नशेबाज़, कुछ शराबी, कुछ जुवाड़ी, कुछ चोर, कुछ बदमाश, कुछ हरामखोर, और उस में से ज़्यादह तर कायर बन जाते हैं,
सेम क्लास और दिमाग़ को इस्तेमाल कर के कोई देश को कामयाबिओं की
बुलंदिओं तक लेजाता है, जैसे ऐ. पि. जे. अब्दुल कलाम, तो कोई उसी क्लास और दिमाग़ को इस्तेमाल कर के देश को बर्बाद करता है,
इसका मतलब ये हैं कि अच्छा और कामयाब इंसान बनने के लिए अच्छी एजुकेशन और अच्छी सोसाइटी नहीं बल्कि सही एजुकेशन और सही सोसाइटी का होना ज़रूरी है,
हमारे समाज का नुकशान बुरे लोगों की बुराई से ज़्यादा अच्छे लोगों की खामोशी और पढ़े लिखे ओहदेदारों की कायरता से पहुंच रही है,
हम तभी कामयाब हो सकते हैं जब हमारे समाज में इंसाफ हो, जब हम एक जुट हो कर अच्छे कोअच्छा और बुरे को बुरा मानना शरू कर दें. दुनिया में जितने भी डेवेलप्पड देश हैं, ओ इसलिये डेवेलप्पड हैं के वहां इंसाफ होता है, वहां का हर नागरिक इंसाफ पसन्द और ज़िम्मेदार होते हैं, वहां का हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझता है और उसपर अमल भी करता है, वहां हर कोई अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा मानता है, जब किसी के बारे में ये कन्फर्म हो जाये कि वो अच्छा आदमी है, या अदालत कन्फर्म कर दे, तो उसे हर कोई सपोर्ट और इज़्ज़त करने लगता है, और अगर ये कन्फर्म हो जाये के बुरा आदमी है तो उस से हर कोई नफरत करने लगता है, लोग उसकी इतनी रुस्वाई करना शुरू कर देते हैं के उसका घर से निकलना मुश्किल हो जाता है, कुछ तो शर्म के मारे घर में ही आत्महत्त्या कर लेते है, और इस तरह समाज खराब होने से बच जाता है,
लेकिन हम तो अपनी ज़िम्मेदारी सरकार पर थोप देते हैं, और खुद कायर बन कर
ज़िन्दगी गुज़रते रहते है,
हमारे समाज का ज़्यादह तर तब्क़ा एडुकेटेड है, कुछ उनपढ भी हैं लेकिन इन दोनों में एक तीसरा तब्क़ा भी है जो सेंसलेस है, वो फैसला ही नहीं कर पा रहे हैं के क्या सही है और क्या ग़लत है, वो सही और ग़लत को खलत मलत कर दे रहे हैं, थोड़े पैसे और ओहदे की लालच में लोग अपनी पढाई, माँ बाप, घर परिवार और आर्गेनाइजेशन की तरफ से दी गई ट्रेनिंग, यहाँ तक के देश के कंस्टीटूशन को भी ताक पे रख दे रहे हैं, कुछ लोगों की तो आमदनी बिलकुल नहीं लेकिन शौक अमीरों वाली पाल लिए हैं, घर परिवार में बात चीत नहीं लकिन सोसल मीडिया पर हज़ारों दोस्त बनाये जा रहे हैं, लोग गाजर, मूली, केले, को खाने में शर्म, लकिन गुटखा, तम्बाकू, सिगरेट, शराब को पिने में फख्र महसूस कर रहे हैं, केक और अंडा जो खाने की चीज़ है उसे बर्थडे पार्टिओ में बेला झिझक बर्बाद किआ जा रहा है, घर परिवार के लोगों पर 100 रुपया खर्च करने को मुश्किल समझते हैं लकिन बाहर होटलों एंड रेस्टोरेंट में जा कर उन्हें हज़ारों रुपये खर्च करने में उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती. गाये , भैंस , बकरी, जो दूध देतीं हैं को पालने में शर्म लकिन कुत्तों को घुमाने में लोग फख्र महसूस कर रहे हैं, मास्टर्स एंड उस्ताद जो एजुकेशन के माहिर हैं, माँ बाप और बड़े बुजरुग जो ज़िन्दगी जीना सीखते हैं, अच्छे और पढ़े लिखे मोलवी, पंडित, पादरी जो मज़हब की सही जानकारी देतें हैं, समाज सेवी, जो समाज की परिशानिओं को दूर करने में लगे रहते हैं, लोग उनसे लगाव नहीं रखते लेकिन सोशल मीडिया पर चिपके रहते हैं, इंटरनेट और टी.व् को ही लोग एजुकेशन और मज़हब की जानकारिओं का ज़रिया समझने लगे हैं, जिसमें ज़्यादह तर बातें मिर्च मसालों के साथ पेश किये जाते हैं , जिसमे हक़ीक़त कहीं और छुप जाती है,और हम बिना उसकी तहक़ीक़ किए सच समझ कर रियेक्ट करना शुरू कर देते हैं, जहाँ किताबें फुटपाथ पे और जूते कांच के शो रूम में बिकने लगे तो समझ लिजिए के उस समाज का भविष्य क्या होगा,
ग़ालिब का एक शाइरी है के ” बेवकूफों की कमी नहीं है ग़ालिब एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं”
ये बिकुल सच होता दिख रहा है के हम बेवकूफी कर रहे हैं लकिन इसे अकलमंदी समझ रहे हैं, दून्या में हर साल लग भग 20 लाख लोग उन चीज़ों की सेवन से मर रहे हैं, जो हमारे लिए वर्जित है, World Health Organization (WHO)https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/tobacco, जिस से पैसा, समय और सेहत तीनों बर्बाद होता है और फ़ायदा कुछ भी नहीं, थाना पुलिस, ट्रांसपोर्ट पुलिस, अदालतें और जेल इन चारों से बच कर हम देश के अरबों खरबों का नुकशान होने से बचा सकते हैं, और इस पैसे का देश के डेवलपमेंट्स पर खर्च कर के देश को बहुत आगे बढ़ा सकते हैं,
इनसब का हल सिर्फ और सिर्फ सही एजुकेशन में है, सही शिक्षा वो है जो अच्छे और बुरे में फर्क बताये, जो सही और ग़लत की पहचान कराये, शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो अपनी ज़िम्मेदारी, अपने ऊपर अपने माँ बाप की ज़िम्मेदारी, परिवार की ज़िम्मेदारी, समाज की ज़िम्मेदारी और यहाँ तक कि मुल्क की ज़िम्मेदारी को समझने और उसपर अमल करने में मदद करे।
हमारे जांबाज सिपाहियों और लीडरों ने अपनी जान दांव पर लगा कर इस देश कोआज़ाद कराया, अब देश अपना है, क़ानून अपनी है, हुकुमत अपनी है, फौज अपनी है, पुलिस अपनी है, सिर्फ हमें अपनी ज़िम्मेदारी ही तो निभानी है. अपना देश अपने बड़े घर के जैसा है, जैसे हम अपनी घर की हिफाज़त करते हैं, वैसे ही अपने मुल्क की भी हिफाज़त करें, आइये हम मिल कर एक ऐसा समाज बनाएं जिस में झूठ न हो, धोखा न हो, सब एक दूसरे की आदर करें, एक दूसरे की मदद करें, एक ऐसा देश जिस में सभी सकूं और आनंद महसूस करें।
“जय हिन्द” “ہندوستان زندہ باد”
Why is the right education important?
Read and think: – It is the desire of every student to become a good and successful person by studying and writing. Their parents want the same, in everyone’s classes, even the studies seem to be the same. Everyone’s body and mind are also made the same, still not all succeed. The reality is that some are successful, some very successful, some useless, some drug addicts, some drunkards, some become gamblers, some thieves, some scoundrels, some illegitimate, and most of them become cowards. By using same class and brain, someone takes the country to the heights of success Like A. P. J. Abdul Kalam, and someone ruins the country by using the same class and brain. This means that to become a good and successful person, it is not necessary to have good education and good society, but it is necessary to have right education and right society. The loss of our society is more due to the silence of the good people and the cowardice of the educated officials than the evil of the bad people. We can only be successful when there is justice in our society. When we unite and start considering good as good and bad as bad. All the developed countries in the world are developed because there is justice, every citizen there is justice loving and responsible every citizen there understands his responsibility and executes it. There everyone treats good as good and bad as bad. When it is confirmed about someone that he is a good person. So, everyone starts supporting and respecting him, and if it is confirmed that he is a bad man, so everyone hates him. People start cursing him so much that it becomes difficult for him to leave the house, some commit suicide at home out of shame and thus the society is saved from spoiling. But we impose our responsibility on the government and go through life being a coward.
Most of the sections of our society are educated, some are illiterate, but there is also a third class between these two who is senseless. They are unable to decide what is right and what is wrong, they are confusing right and wrong. In the greed of little money and position, people are keeping their studies, training given by parents, family and organization, even the constitution of the country is being put on hold. Some people have no income at all but have taken up the hobbies of the rich. There is no talk in the family, but thousands of friends are being made on social media. People are ashamed to eat Carrot, Radish, Banana But feel proud to drink gutkha, tobacco, cigarette, alcohol. Cake and Eggs, which are edible, are being wasted without hesitation in birthday parties. They find it difficult to spend 100 rupees on family members, but they do not have any problem in spending thousands of rupees in hotels and restaurants outside. There is shame in rearing cows, buffaloes, goats that give milk, but people are feeling proud in taking dogs for walks. Teachers who are experts in education, parents and elders who make us learn to live life, Teachers who are experts in education, parents and elders who make us learn to live life, Good and educated Molvi, Pandits, priests who give correct information about religion. Social worker who is engaged in removing the problems of the society, People don’t like to be in contact with them but they stick to social media. People have started considering internet and TV as the source of through information about education and religion, in which a lot of things are introduced with chilli and spices their truth hides somewhere else, and we start reacting thinking it to be true without investigating it. Where books are sold on the footpath and shoes are sold in glass showrooms, then understand what will be the future of that society.
A poetry of Ghalib “There is no dearth of fools, search one found thousands”.
It seems to be so true that we are doing stupid things but considering it as wisdom. There are about two million people dying in the world by consuming those things which are forbidden for us every year. (WHO): https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/tobacco, due to which money, time and health all three are wasted and there is no benefit. Police Station, Transport Police, Courts and Jails can be avoided and by avoiding these variables, we can save the country from the loss of billions of trillions, and by spending these money on the development of the country, we can take the country forward a lot.
The solution to all this lies only in the right education. The right education is that which tells the difference between good and bad, 0ne who distinguishes between right and wrong. Education should be such that help to understand own responsibility, the responsibility of one’s parents, the responsibility of the family, the responsibility of the society and even the responsibility of the country and help to act upon it.
Our brave soldiers and leaders put their lives at risk to make this country free. Now the country is ours, the law is ours, the government is ours, the army is ours, the police is ours. We just have to fulfill our responsibilities. Our country is like our big house, as we protect our home, protect our country as well. Let us together make a society in which there is no lie and no deception. Everyone respects each other, support each other, a country where everyone can live with Peace and a feeling of very great pleasure.
“Long live our country”